देहरादून: गढ़वाळि साहित्या वर्तमान परिदृश्य पर संगोष्ठी
उत्तराखण्ड साहित्य गौरव- 2024 से सम्मानित गढ़वाळि साहित्यकारों को अभिनंदन बि ह्वे

गढ़वाली साहित्य समाज अर सृजन की वास्ता समर्पित पत्रिका ‘चिट्ठी-पत्री’ द्वारा ये साल उत्तराखण्ड भाषा संस्थान, देहरादून द्वारा उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान से विभूषित गढवाळि कवि मदन मोहन डुकलाण अर नाटककार कुलानंद घनशाला जी का सम्मान मा एक अनौपचारिक कार्यक्रम करेगे। ये कार्यक्रम मा द्वी साहित्यकारों का अभिनंदन का दगड़ै-दगड़ गढ़वाली साहित्य की आजै दशा अर दिशा पर एक संगोष्ठी भी करेगे। कार्यक्रम अनौपचारिक छौ पर साहित्य मर्मज्ञों की उपस्थिति न् ये बैठक तैं एक विचार गोष्ठी को रूप दे देनि।
ये मौका पर गढवाळि गीत-संगीत का शिखर पुरुष गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी जीन् बोले कि आज गढवाळि साहित्य की स्थिति भौत अच्छी छ पर नया लिख्वारों तैं पुरणा लोगों तैं पढ़णौ बि जरूरी छ। पढ़ण से हि नया विषयों पर लिखणै समझ पैदा होंद।
साहित्यकार अर भाषा-शिक्षण का जणगुरु वक्ता डॉ नंद किशोर हटवाल जीन् बोले कि गढ़वाळि मा लिखणा त भौत छन पर गद्य साहित्य मा बिल्कुल ना क बरोबर लिखेणू छ। वूंन बोले कि हमतैं कविता का अलावा अन्य विधाओं मा बि लिखणै जर्वत छ। हटवाल जी भाषा का मानकीकरण तैं बि आवश्यक बतै।
हिंदी अर गढ़वाळि मा निरंतर लिखण वळा कवि अर साहित्यकार शांति प्रकाश ‘जिज्ञासू’ जीन् बोले कि नया विषयों पर बि लिखणो जरूरी छ किलैकि समय अर समाज बदलेणू त हमरा विषय बि बदलेण चयेणान्।
ये हि क्रम मा रमाकांत बेंजवाल जीन् बोले कि गढ़वाळि साहित्य मा समालोचना की बहुत बड़ि कमि छ, हम समीक्षा का नाम पर सिर्फ ‘तारीफ’ कर्ना छिन। आकाशवाणी देहरादून मा प्रस्तोता अर रंवाल्टी कवियत्री भारती आनंद जीन् बोले कि वो बि अपणि स्थानीय बोली रंवाल्टी मा लिखणौ प्रयास कर्नी छन।
यीं अनौपचारिक पंरतु महत्वपूर्ण परिचर्चा पर अपणा विचार रखदि गढवाळि की सशक्त महिला रचनाकार बीना बेंजवाल जीन् बोले कि गढ़वाळि साहित्य मा समीक्षा बिल्कुल नि होणी छ। कविता का अलावा अन्य गद्य विधाओं लिखण वळि रचनाकार गिणति की छन।
युवा कवि अर सामाजिक सरोकारों मा सबसे अगाड़ि रौण वळा अनिल सिंह नेगी जीन् बोले कि शायद सरकारी कामकाज मा इस्तेमाल होणा बाद अर रोजगारपरक बणाण से हमारि नै पीढ़ी यीं भाषा तै सिखण मा रूचि ल्या।
कवि अर रचनाकार मदन मोहन डुकलाण जीन् बोले कि हम सिर्फ मात्रात्मक बढोतरी त कर्ना छां पर गुणात्मक रूप मा हमारो साहित्य जख्यातखि छ। वूंन आश्चर्य जतै कि हमारि से पैली पीढ़ी का लोग इतना साधन संपन्न नि छया फिर बि वूंन जो साहित्य रचै हम दूर दूर तक बि वेको मुकाबला नि करि सकदा।
ये अवसर पर रमाकांत बेंजवाल जी, सत्यानंद बडोनी जी, शांति प्रकाश जिज्ञासु जी, अनिल सिंह नेगी जी, गिरीश सुंदरियाल जी रमेश बडोला जी, पुरुषोत्तम ममगाईं जी, भगवती सुंदरियाल जी, भारती आनंद जी ओम बधाणी जी, बलबीर सिंह राणा ”अडिग’ जी आदि लोग बि उपस्थित छया।
कार्यक्रम को संचालन गिरीश बडोनी जी द्वारा करेगे।
©आशीष सुंदरियाल