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क्यू.आर कोड युक्त “मि गढ़वाळी छौं” पोथी कु लोकार्पण

गढ़वाल रैफल रेजिमेंटल सेंटर लैंसडाउन मा ह्वे भव्य कार्यक्रम

सूण ल्यो

क्यू.आर कोड युक्त “मि गढ़वाळी छौं” पोथी कु लोकार्पण गढ़वाल रैफल रेजिमेंटल सेंटर लैंसडाउन (काळू डांडा) मा सफल ह्वे।

एक लपाग अपणि भाषा का खातर रेजिमेंट सेंटर का कमांडांट ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी’ विशिष्ट सेवा मेडल, जिकी या सराहनीय पहल स्तुत्य छ। यीं पोथी का प्रधान संपादक लेफ्टिनेंट कर्नल देवशीष मुख़र्जी अर संपादकीय टीमन अपणा अथक प्रयास सि कम समै मा यु भगीरथ काम करे।
पुस्तक संपादकीय टीम मा श्रीमती भगवती सिंह (प्रधानाचार्य), श्रीमती मीना अधिकारी अध्यापिका, जी. जी. आई. सी. लैंसडाउन, सूबेदार बलबीर सिंह राणा (रिटायर्ड) अर गढ़वाल रेजिमेंट सेंटर का सूबेदार संतोष कुकरेती अर वूंका दगड़ तकनिकी काबिल टीमन ये यज्ञ तैं पूरो करि। उन त सम्पदाकीय टीमल अपणि तरिफाँ बिटि पूरी कोसिस करि कि क्वी कमि न रै जावो पर साधारण रूप से एक छ्वटि सि किताब मा इतगा बडू लोक नि समै सकदू छौ इनु बि ध्यान राखि। पोथी गढ़वाळ रैफल मा गढ़वळी का अलौ देश का हौरि भाषा परिवेश का ऑफिसर, जेसीओ, जवानों अर वूंका परिवारों तैं सरलता सि गढ़वळीपन बिंगाण लेख बणायेगे जैमा चौदह अध्यायों मा आम गढ़वाळी व्यवहारिक शब्दावली, आणा-पखाणा, प्रशिद्ध गीत अर गीतकार, प्रशिद्ध गढ़वली फ़िल्म, चित्र का दगड़ पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य, संस्कृति, रीति-रिवाज, रहन-सहन, भेष-भूष, बार-त्यौहार, थौळ-कौथिग, उपकरण, भोजन-व्यंजन, फल-पुष्प, साग-भुज्जी, पशु-पक्षी, चार धामों सहित लगभग पूरा गढ़वळी लोक जीवन तैं संक्षिप्त रूप मा समाहित करयूँ।
अर पोथी कि विशेष विशेषता या छ कि हर अध्याय अर हैडिंग मा क्यू आर कोड दियूं जैतैं स्कैन करि पाठक वे चैप्टर अर तथ्य की सम्पूर्ण जानकारी इंटरनेट शोर्ष से पढ़ी, सूणी अर जाणी सकदन। पोथी कै बड़ा प्रकाशन से प्रकाशित नि छ बल्कि गढ़वाळ रैफल रेजिमेंटल सेंटर कु अपणु प्रकाशन छ जैतैं सेंटर की प्रिंटिंग प्रेस बिटि छपवैगे।
पोथी का आमुख उद्बोधन मा गढ़वाल रैफल रेजिमेंट का कर्नल ऑफ़ रेजिमेंट अर उप थल सेनाध्यक्ष “लेफ्टिनेंट जनरल एन.एस राजा सुब्रमणी’ पीवीएसएम, एवीएसएम, एस एम, वीएसएम” अर सेंटर कमांडांट “ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी, वीएसएम,” जिको छन, सम्पदाकीय प्राक्कथन लेफ्टिनेंट कर्नल देवाशीष मुख़र्जी जिको लिख्यूँ छ।
हैकि विशेष बात या छ कि सम्पदाकीय टीम तैं पोथी गंठयाणों मूल शोर्स “उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी गढ़वाली पाठ्यक्रम” ज्व हमारा लोक का लब्ध प्रतिष्ठित साहित्य अर भाषावि जनों कु संपादन छ, अर भाषाविद श्री रमाकांत बेंजवाल कृत “गढ़वाली भाषा की शब्द सम्पदा” पोथी रै। इलै पोथी मा मानक गढ़वाळी भाषौ इस्तेमाल होयूँ, व्याकरण आम पाठक सम्मत छ। पोथी मा व्यवहारिक शब्द अर बाकी तथ्यों तैं हिंदी मा व्याख्यायित करयूँ ताकि आम गढ़वळी जवान अर देशा हौर भाषी ऑफिसर अर जवान आसानी सि समझि साको।
आशा ही ना बल्कि परम विस्वास छ कि या पोथी फ़ौज मा बि गढ़वाळी भाषा संवर्धन अर अपणि भाषा अपणि पछयाण वास्ता कारगर साबित होली।
समारोह “रैफलमेन सुरजन सिंह शौर्य चक्र” ऑडोटोरियम मा ह्वे जैमा मुख्य अथिति सेंटर कमांडांट ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी’ वीएसएम, का अलौ पुस्तक सम्पदाकीय टीम, रेजिमेंट सेंटर का तमाम ऑफिसर, जेसीओ, जवान, अध्यक्ष सैनिक कल्याण बोर्ड लैंसडोन, पुलिस एसएचओ लैंसडोन अर मिडिया बन्धुओं की गरमामयी मैजूदगी रै।

रिपोर्ट : बलबीर राणा ‘अडिग’

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