दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र, देहरादून मा उत्तराखंड की लोक कथाओं की पुस्तक को लोकार्पण
सौ बालोपयोगी कथाओं को संकलन छ यो संग्रह

26 मई 2025 खुणि देहरादून का दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र मा डॉ. उमेश चमोलै पुस्तक ‘उत्तराखंड की एक सौ बालोपयोगी लोककथाएँ ‘ को लोकार्पण करेगे।
ये मौका पर ब्वलदरोन् बोले कि यना जतन नई छिंवाल़ तैं अपणि संस्कृति से जोड़ना वास्ता भौत जरूरी छन।
कथाकार मुकेश नौटियाल न् बोले कि लोक कथौं मा हमरा समाजै सचै दिखेंद। यि कथा हमरा प्रनिष्ठित साहित्य लेखन तैं बि दड़ देंदन। पुस्तक का लेखक डॉ. उमेश चमोला न् बोले कि यीं किताब तैं मिलैकी वूंकी अब तक चार लोक कथाओं की किताब ह्वेगिन अर वो ये सब अपणि नै छिंवाल़ तैं अपणि संस्कृति तैं ज्वड़ना वास्ता कर्ना छन।
डॉ. नन्द किशोर हटवाल न् बोले कि सोशल मडिया का आज का जमना मा लोक कथाओं को संकलन भौत जरूरी छ किलैकि अब कथा घालि कुथगल़ि की परम्परा लगभग खतम ह्वेगे। इलै कम से कम प्रिंट माध्यम से त यूंको संकलन जरूरि छ। भाषाविद रमाकांत बेंजवाल न् बोले कि लोक कथा हमारि संस्कृति, रीतिरिवाज अर परम्पराओं की वृद्धि बेल छन। लोक मा प्रचलित आभूषण, क़ृषि, वस्त्र आदि से सम्बंधित कई शब्द लोक कथाओं मा मिलदन। लोक कथाओं का खतम होण पर यूं शब्दों को लुप्त होणो बि खतरा छ।
शिक्षाविद अर साहित्यकार राकेश जुगरान न् बोले कि कहानि पैल्या समै बटि हि बच्चों तैं भौत पंसद औंदिन। अर यि बच्चों का मानसिक विकास का वास्ता बि मददगर साबित होंदिन।
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी न् कार्यक्रम का शुरू मा सब्बि लोगों को स्वागत करे। वूंन् बोले कि दून पुस्तकालय और शोध केंद्र को उद्देश्य ये तरह का कार्यक्रमों से पढ़दरों मा पठन-पाठन को ढब डल़णो छ।
काव्यांश प्रकाशन का प्रबोध उनियाल नि बोले कि श्रेष्ठ पुस्तकों का प्रकाशन से अपणि संस्कृति की श्रीवृद्धि कर्नो वूंका प्रकाशन को प्रयास छ।
ये मौका पर वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीश डोभाल, शूरवीर सिंह रावत,ओम प्रकाश जमलोकी, प्रदीप डबराल, भारती मिश्रा,आलोक कुमार सरीन, सुरेन्द्र सजवान,शैलेन्द्र नौटियाल, सत्यानंद बडोनी, कुलभूषण नैथानी, राकेश कुमार,सुंदर सिंह बिष्ट, हरिओम पाली, अरविन्द प्रकृति प्रेमी, देवेंद्र कुमार कांडपाल, डॉ. वी क़े डोभाल,सोमेश्वर पांडे, शशि भूषण बडोनी, डॉ. एस. के. गौड़,प्रेमी साहिल का दगड़ै-दगड़ पाठकगण, लेखक, साहित्यकार उपस्थित छया।
कार्यक्रम को संचालन गढ़वाल़ी की वरिष्ठ कवियत्री बीना बेंजवाल न् करे।