एफ. आर. आई, देहरादून मा वस्त्र उद्योग का वास्ता बांस की संभावनाओं पर चर्चा
केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह न् बोले- बांस कपड़ा उत्पादन खुणि एक आदर्श संसाधन छ

केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह न् 20 अर 21 अप्रैल, 2025 मा वन अनुसंधान संस्थान को दौरा करे। ऊंन 21 अप्रैल, 2025 खुणि वन अनुसंधान संस्थान का बोर्डरूम मा एक बैठक मा भाग ल्हे, जैमा श्री गणेश जोशी, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, उत्तराखंड बि मौजूद छया।
बैठक मा वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. रेनू सिंह न् बांस पर अपणा शोध का बारा मा उपस्थिति अधिकारियों तैं जानकारी दे, वूंन येका महत्व पर जोर दे अर ये क्षेत्र मा भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करे।
ये मौका पर एफआरआई का वैज्ञानिकों की टीम न् घुलनशील ग्रेड पल्प उत्पादन का वास्ता अलग-अलग भारतीय बांस प्रजातियों का अपणा अनुसंधान से निष्कर्ष प्रस्तुत करीन्,जो रेयान अर विस्कोस जना कपड़ा फाइबर का निर्माण मा एक महत्वपूर्ण घटक छ। शोध का दौरान प्राप्त निष्कर्ष मा नौ मा बटि द्वी को शीर्ष प्रदर्शन कर्न वल़ि प्रजातियों का रूप मा पये गे, जैमी उच्च अल्फा-सेल्यूलोज सामग्री (52% से अधिक),राख अर सिलिका की कम मात्रा अर उत्कृष्ट लुगदी का गुण छन। यो बांस तैं लकड़ी आधारित लुगदी खुणि एक टिकाऊ विकल्प का रूप मा स्थापित करद, जो भारत का बड़ा बांस भंडार को दोहन करद।
केंद्रीय मंत्री न् ये प्रयास की सराहना करे अर बोले कि “बांस की तीव्र वृद्धि अर संवहनीय गुण ये तैं ये तैं कपड़ा उत्पादन का वास्ता एक आदर्श संसाधन का रूप मा स्थापित करद, जो आत्मनिर्भर, हरित अर्थव्यवस्था का हमरा दृष्टिकोण तैं साकार करद। डॉ. रेनू सिंह न् अपणा व्यक्तव्य मा बोले कि यो शोध ग्रामीण आजीविका तैं भल्लो बणाणा का दगड़ै-दगड़ उच्च मूल्य वल़ा उद्योगों मा बांस का उपयोग को बाटो बि खोजद।
यीं बैठक मा आणवल़ा समै का क्य ह्वे सकद” ये पर बि चर्चा ह्वे जैमा उत्पादन तैं बढ़ाणौ, प्रक्रियाओं तैं परिष्कृत कर्नै अर कपड़ा निर्माताओं दगड़ सहयोग कर्नौ आदि शामिल छयो। या बैठक कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला मा बांस तैं एकीकृत कर्नै दिशा मा एक महत्वपूर्ण कदम छ, जो बढ़दा वैश्विक बाजार का वास्ता पर्यावरण का अनुकूल समाधान की आस जगौंद।
बैठक मा श्रीमती कचन देवी, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून, डॉ. रेनू सिंह, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, एफआरआई का वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. ए.के. शर्मा, निदेशक, भारतीय जूट उद्योग अनुसंधान संघ (IJIRA), कोलकाता, रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, प्रेमनगर देहरादून का वैज्ञानिक अर विकास आयुक्त कार्यालय हस्तशिल्प सेवा केंद्र, वस्त्र मंत्रालय,देहरादून का सहायक निदेशक आदि उपस्थित छया।